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July to September 2024 Article ID: NSS9091 Impact Factor:8.05 Cite Score:3 Download: 0 DOI: https://doi.org/ View PDf
भारतीय ज्ञान परंपराएं, कला एवं संस्कृति मध्य प्रदेश के विशेष संदर्भ में
डॉ. सीमाबाला अवास्या
सहायक प्राध्यापक (हिंदी) शासकीय माधव कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.)
प्रस्तावना- इस देश की संस्कृति ऐतिहासिक
परंपरा से प्रेरित हैं। भारत का इतिहास जितना गौरवशाली है, उतनी ही हमारी संस्कृति
संगठित और सुवासित हैं। हमारा देश अपनी समृद्ध परंपरा एवं सांस्कृतिक धरोहर के लिए
गौरवान्वित रहा है। देश के प्रतीक राज्य की अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ राष्ट्र
को स्थिर तथा मजबूत बनाते हैं। देश के प्रत्येक राज्य का अपना इतिहास रहा है। इसमें
मध्यप्रदेश भी एक हैं। मध्यप्रदेश भारत की हृदय स्थल होने के साथ-साथ कलास्थली भी है।
प्राचीन काल से ही मध्य प्रदेश की एक गौरवशाली परंपरा रही हैं। यहां की लोककला एवं
लोक साहित्य अत्यंत प्रसिद्ध हैं। जीवन की संपूर्णता उनके हर्ष- विषाद, आशा- निराशा,
लाभ- हानि, उत्सव- त्यौहार एवं कामकाज उनकी लोककला एवं लोक साहित्य में जीवंत हैं।
प्रकृति के साथ गहराई से जुड़े होने के कारण उनके प्राकृतिक रंग रूप का सौंदर्य से पल्लवित
एवं पुष्पित हुआ हैं। मध्यप्रदेश की लोक संस्कृति, भारतीय संस्कृति के मूल्य से अनुकनित
होते हुए भी निशिता और विशेषता के कारण स्वतंत्र पहचान बनाए हुए हैं। पड़ोसी राज्यों
की साथ सांस्कृतिक संदर्भ और कलाओं की आदान-प्रदान में प्रदेश की सांस्कृतिक विभिन्नता
के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक व्यापकता को भी और बढ़ाया है। सांस्कृतिक विविधता
के कारण ही मध्य प्रदेश को लघु भारत कहा जाता है और साथ ही लोक कला एवं संस्कृति धर्मिता
की दृष्टि से यह बहुरंगी और बहुव्रीहि थी प्रदेश कहलाता है।














