• January to March 2025 Article ID: NSS9107 Impact Factor:8.05 Cite Score:26 Download: 5 DOI: https://doi.org/ View PDf

    छत्तीसगढ़ की प्रचलित वैवाहिक रस्मः एक ऐतिहासिक अध्ययन

      डॉ. महेश कुमार शुक्ला
        सह प्राध्यापक (इतिहास) डॉ0 सी0 वी0 रमन विश्वविद्यालय, करगीरोड, कोटा, बिलासपुर (छ.ग.)
      सोनिया तिवारी
        शोधार्थी, डॉ0 सी0 वी0 रमन विश्वविद्यालय, करगीरोड, कोटा, बिलासपुर (छ.ग.)

प्रस्तावना-   “विवाह’’ वेदोक्त सोलह संस्कारों में सम्मिलित एक प्रमुखतम संस्कार है, जिसे विभिन्न नाम दिए गए हैं, इनमें से कुछ हैं, पाणिग्रहण, विवाहोत्सव, परिणय, शादी, ब्याह, गठबंधन इत्यादि। वैदिक विवाह की पद्धति से परम्परानुसार धर्म के मार्ग द्वारा गृहस्थ आश्रम में प्रवेश किया जाता है। श्रुति का वचन है - विवाह में दो शरीर, दो मन, बुद्धि, हृदय, प्राण, आत्माओं का समन्वय कर के अगाध प्रेम के व्रत को पालन करने वाले दंपत्ति उमा-महेश्वर सम प्रेम के आदर्श को धारण करते हैं। वैदिक संस्कृति में विवाह एक पवित्र धार्मिक संस्कार है जो एक यज्ञ है। इसमें दो प्राणी या जातक वर और वधू के रूप में अपने पृथक अस्तित्वों के स्थान पर एक सम्मिलित, एकीकृत इकाई निर्मित करते हैं।