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April to June 2025 Article ID: NSS9134 Impact Factor:8.05 Cite Score:29 Download: 5 DOI: https://doi.org/10.63574/nss.9134 View PDf
भारत में लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण में संविधान की भूमिका का विश्लेषणात्मक अध्ययन
विजय लक्ष्मी जोशी
सहायक प्राध्यापक, शासकीय विधि महाविद्यालय, शाजापुर (म.प्र.)
शोध सारांश- प्रस्तुत शोध आलेख में लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण को परिभाषित कर भारतीय संविधान की भारत में लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण में भूमिका का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया है। मनुस्मृति के अध्याय 3 में कहा गया है कि -
यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवताः।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्त्राफलाः क्रियाः।।
अर्थात् जहॉ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता
निवास करते है और जहॉ स्त्रियो की पूजा नहीं होती, उनका सम्मान नहीं होता है वहाँ किए
गए समस्त कार्य निष्फल हो जाते है। हजारों वर्ष पूर्व वैदिक काल में महिलाओें को कई
अधिकार प्राप्त थे, वे वेदों का पठन-पाठन करती थी। वेदों में 404 ऋषियों में 30 ऋषि
महिलाए थी। वे युद्धकला तथा प्रशासनिक कार्या में भी पारगंत थी, कोई भी धार्मिक कार्य
उनके बिना पूर्ण नहीं होता था किन्तु फिर शनैः शनैः उनकी स्थिति बदत्तर होती गई उन्हे
शिक्षा, सम्पति एवं समाज में पुरूषों के समान आधिकार से वंचित कर दिया गया, वे केवल
उपभोग का एक साधन मात्र बनकर रह गई। संविधान के लागू होने के पूर्व भारतीय समाज में
लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण का अस्तित्व ना के बराबर था। संविधान का निर्माण
करने वाली संविधान सभा में कुल 15 महिला सदस्य थी, जिसमें दक्षिणायनी वेलायुधन, सरोजिनी
नायडू, बेगम कदारिया ऐजाज रसूल, दुर्गाबाई देशमुख, हंसा जीवराज मेहता, पूर्णिमा बेनर्जी,
राजकुमारी अमृत कौर, विजय लक्ष्मी पंडित, सुचेता कृपलानी, कमला चैधरी आदि प्रमुख थी
जो महिलाओं की तत्कालीन दयनीय स्थिति से अच्छी तरह परिचीत थी। इसके अतिरिक्त संविधान
सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ.
भीमराव अंबेडकर
भी लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण के कट्टर समर्थक थे। अतः उन्होनें भारतीय संविधान
में ऐसे उपबंधों को अंतर्विष्ट कराया जो महिला के प्रति लिंग के आधार पर होने वाले
भेदभाव को समाप्त कर सके एवं उन्हें पुरूषों की अपेक्षा अतिरिक्त विशेषाधिकार देकर
सशक्त कर सके। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15(1), 15(3), 16(1), 21, 21क, 23,
38(क), 38(घ), 38(ड़), 42, 44, 51क(ड़), 243घ(3), 243घ(4), 243न(3), 243न(4), 325 इसके
जीवंत दृष्टांत है जिनका वर्णन प्रस्तुत शोध आलेख में किया गया है।














